पेरिस की सड़कों पर भारत की यादें : एक पुराना सफर

फटी जींस की शुरुआत एक फैशन ट्रेंड के रूप में नहीं, बल्कि एक विद्रोही सोच के रूप में हुई थी। 1970 के दशक में अमेरिका और यूरोप में पंक मूवमेंट (Punk Movement) चल रहा था। यह एक सामाजिक और सांस्कृतिक आंदोलन था जो पारंपरिक सोच, सामाजिक व्यवस्था और राजनीतिक ढांचे के खिलाफ आवाज उठा रहा था।
पंक संस्कृति के अनुयायी कपड़ों से भी अपने विद्रोह को व्यक्त करते थे। फटी हुई, कांटे-तार से जुड़ी, या चुभने वाले डिजाइन वाली जींस पहनना इसी सोच का हिस्सा था। यह उनके अंदर मौजूद असंतोष और विरोध की भावना का प्रतीक बन गया।
1980 और 1990 के दशक में जब यह स्टाइल मुख्यधारा में आया, तो फैशन ब्रांड्स ने इस विद्रोही पहनावे को एक स्टाइलिश आइटम में बदल दिया। रॉक स्टार्स और सेलेब्रिटीज जैसे कि कर्ट कोबेन और मडोना ने भी इस लुक को अपनाया, जिससे यह धीरे-धीरे ग्लोबल फैशन का हिस्सा बन गया।
आज बाजार में कई तरह की फटी जींस मिलती हैं — हल्के कट्स से लेकर पूरी तरह से घुटनों तक फटी हुई जींस तक। यह अब सिर्फ फैशन की बात नहीं, बल्कि एक पर्सनल स्टाइल और आत्म-अभिव्यक्ति का तरीका बन चुका है।
भारत में इसका आगमन
भारत में फटी जींस की लोकप्रियता 2000 के दशक के बाद बढ़ी, खासकर बॉलीवुड और टेलीविज़न कलाकारों के बीच। जैसे-जैसे सोशल मीडिया का प्रभाव बढ़ा, वैसे-वैसे युवाओं ने भी इसे अपनाना शुरू कर दिया।हालांकि आज भी कई लोग इसे 'संस्कृति के खिलाफ' मानते हैं, लेकिन नए दौर के युवाओं के लिए यह महज एक कपड़ा नहीं, बल्कि उनकी सोच, स्वतंत्रता और आधुनिकता का प्रतीक है।
फटी जींस का इतिहास सिर्फ फैशन से जुड़ा हुआ नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक क्रांति से भी जुड़ा हुआ है। यह एक ऐसा उदाहरण है जहाँ एक विरोध का तरीका धीरे-धीरे वैश्विक फैशन ट्रेंड बन गया। समय के साथ यह स्टाइल कितना बदलेगा, यह तो भविष्य ही बताएगा, लेकिन फिलहाल यह यंग जनरेशन की पहचान बन चुका
अच्छी जानकारी के लिए धन्यवाद
जवाब देंहटाएंdhnyavad
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